?सुप्रभातम?

*?सुप्रभातम?*
*सोना सज्जन साधुजन, टूटि जुड़े सौ बार।* *दुर्जन कुम्भ कुम्हार के, एके धके दरार।।* ;- कबीर जी कहते हैं कि सोने को अगर सौ बार भी तोड़ा जाए, तो भी उसे फिर जोड़ा जा सकता है। इसी प्रकार भले मनुष्य साधु हर अवस्था में भले ही रहते हैं। इसके विपरीत बुरे या दुष्ट लोग कुम्हार के घड़े की तरह होते हैं जो एक ही प्रहार अथवा धक्के से टूट जाते हैं एवं पुनः नहीं जुड़ते।
Gold can be mended even after broken hundred times. In the same way, noble man can be persuaded in every state. On the contrary, bad or evil people are like potter pots, which are broken by a little shock and do not join again.
डॉ योगानन्द गिरी श्री बूढ़े नाथ मन्दिर मिर्ज़ापुर