“जो चाहत सुख, सुयश, श्री, सम्पति, सद्गति, साथ
सेवहिं सहित सनेह निज शिव श्री बूढ़ेनाथ”
प्राचीन मान्यतानुसार काशी की स्थापना भगवान् शिव के आदेशानुसार विश्वकर्मा के शिल्पियों द्वारा महादेव के त्रिशूल पर की गयी. स्थापना पूर्ण होने के पश्चात जब महादेव कैलाश से काशी की ओर प्रस्थान करने लगे तब माता पार्वती ने कहा कि हे प्राणनाथ जिस प्रकार प्राण के बगैर शरीर का कोई अस्तित्व नहीं होता ठीक उसी प्रकार पुरुष के बगैर नारी का अस्तित्व भी अधूरा होता है, अतः हम भी आपके साथ काशी प्रस्थान करेंगें. माता पार्वती की बात सुनकर महादेव शिव ने उनको समझाने का प्रयास किया परन्तु माता के न मानने पर एवं विशेष आग्रह करने पर महादेव जी ने विश्वकर्मा को आदेश दिया कि त्रिशूल के पूच्छ भाग पर गिरिजापुर (वर्तमान मीरजापुर) का निर्माण किया जाय जहां पर पार्वती का विश्राम स्थल होगा.
महादेव के आदेशानुसार विश्वकर्मा ने मर्त्यलोक में भव्य गिरिजापुर का निर्माण कर दिया. तत्पश्चात महादेव शिव माता पार्वती के साथ काशी पधारे, माता को काशी का भ्रमण कराने के पश्चात् उनको गिरिजापुर में निवास करने का आदेश दिया, साथ ही माता को यह वचन भी दिया कि मैं प्रतिदिन विश्राम करने के लिये गिरिजापुर ही आऊंगा और प्रातः पुनः मर्त्यलोक के जन मानस की समस्याओं को सुनने के लिये काशी वापस चला जाऊंगा. तबसे भगवान् शिव नित्य दिन में काशी एवं रात्रि में गिरिजापुर (मीरजापुर) निवास करते हैं.