एक कहानी…. इंसान की खोपड़ी

एक फ़क़ीर अपनी मस्ती में धूमता-फिरता, एक #राजा के दरबार में पहुंच जाता है..राजा पूछता है..कहो क्या चाहते हो, जो माँगना चाहो..मांग लो..मेरे दरबार से आज तक कोई खली हाथ नहीं गया ! फ़क़ीर…कुछ मांगू..उससे पहले मेरी एक शर्त है ! चाहे तुम जो डाल दो मेरे भिच्छापात्र में, चाहे मिटटी ही डाल दो..लेकिन ध्यान रहे…पूरा भरना पड़ेगा..जरा भी खाली नहीं रहना चाहिए ! राजा कोई छोटा-मोटा राजा न था…बड़े साम्राज्य का राजा था ! फ़क़ीर की बात सुन… हंसा वो…क्या मिटटी की बात करते हो, इस छोटे से भिच्छापात्र को भरने की बात करते हो… मेरे यहाँ आये भी तो ये छोटा सा भिच्छापात्र लेकर, कोई बड़ा भिच्छापात्र लेकर आते ! उसने अपने मंत्री को आदेश दिया…हीरे-जवाहरात से भर दो..इसका ये भिच्छापात्र ! खजाने से हीरे-जवाहरात लाए गए…उसके पात्र में डाले गए…लेकिन ये क्या..? फ़क़ीर का पात्र भरने में ही न आ रहा था..! राजा का सारा खजाना खाली हो गया…लेकिन फ़क़ीर का पात्र खाली का खाली…! अब राजा समझ चूका था…ये कोई साधारण फ़क़ीर नहीं…अब राजा का अहंकार टूट चूका था…वह फ़क़ीर के चरणों में नतमस्तक हो गया…. बोला….आप सारा खजाना ले जाए…बस इस भिच्छापात्र का राज बता दे…ये भरने में क्यों नहीं आ रहा…? फ़क़ीर….राजन, राज कोई भी नहीं, बात सिर्फ इतनी है कि ये इंसान की खोपड़ी से बना है ! इंसान को कितना ही धन-वैभव मिल जाए लेकिन उसकी खोपड़ी की इच्छा कभी पूरी नहीं होती !
महन्त योगनन्दगीरी जी महाराज बूढ़े नाथ मंदिर मिर्ज़ापुर