इस वर्ष नवरात्रि में घटस्थापन मुहूर्त बिचार

इस वर्ष आश्विन नवरात्र में घटस्थापना को लेकर कई विमर्श सामने आ रहे हैं किंतु निर्णय सिंधु नामक ज्योतिष के आधार ग्रंथ के अनुसार भार्गवार्चनदीपिका मे देवी पुराण का उल्लेख करते हुए कहा है कि – “त्वाष्ट्रवैधृति युक्ता चेत प्रतिपच्चण्डिकार्चने। तयोरन्ते विधातव्यं कलशा रोपणं गुह।।” चंडिका पूजन में चित्रा और वैधृति से युक्त प्रतिपदा हो तो उसके उपरांत में घटस्थापना करें। चित्रा वैधृति से युक्त भी द्वितीया सहित ग्राह्य है। दुर्गोत्सव में लिखा है कि विरुद्ध योगों से भी युक्त द्वितीया संयुक्त प्रतिपदा मिल जाए तो बुद्धिमान को लक्ष्मी पुत्र राज्य आदि के बढ़ाने वाली तिथि में अपरान्ह में की स्थापना करना चाहिए और जब वैधृति आदि के बिना प्रतिपदा ना प्राप्त हो उस समय के लिए कात्यायन ने लिखा है कि आश्विन मास की प्रतिपदा को वैधृति चित्रा हो तो आरंभ के दो चरण छोड़कर नवरात्रि का आरंभ करें और भविष्य पुराण के अनुसार चित्रा वैधृति पूर्ण प्रतिपदा हो तो आदि के 3 अंश को छोड़कर चौथे अंश में पूजन करें और यदि संपूर्ण प्रतिपदा ही चित्रा व वैधृति से युक्त हो तो मध्यान्ह अर्थात अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना करना श्रेष्ठ है चित्रा आदि के निषेध में प्रमाण नहीं है । इस वर्ष 7 अक्टूबर 2021 गुरुवार को प्रतिपदा दोपहर 1:49 तक रहेगी चित्रा नक्षत्र रात्रि 9:13 तक तथा वैधृति योग मध्य रात्रि 1:40 तक रहेगा अतः दिनांक 7 अक्टूबर को उपरोक्त निर्देशानुसार अभिजीत मुहूर्त 12:02 से 12:49 के मध्य स्थापना करना ही श्रेयस्कर रहेगा। कलश स्थापन रात्रि में ना करें।